मौसम इश्क़ का जो इस बार आया हैं उल्फ़त में तेरी मैंने दिल को लगाया हैं किया हैं हासिल मैंने नज़र-ए-करम तेरा खुद को तेरे इश्क़ के क़ाबिल पाया हैं तेरे दम पर जो चल रही हैं साँसें मेरी मेरे हबीब मेरे दिल को क़रार आया हैं जो मुहर्रिक हुए तुम मेरी बेज़ान धड़कनों के दरिया-ए-‘वेद’ में मैंने अपना साहिल पाया हैं ग़ाफ़िल हो चला हूँ तेरी चिलमन से मरऊब तेरे पहलू में कैद हूँ मुझे होश कहाँ आया हैं ♥️ Challenge-480 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।