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'ये उम्र के तकाज़े' ठुकरा के छतरियों को, बारिश से

'ये उम्र के तकाज़े'

ठुकरा के छतरियों को, बारिश से आ रहे हैं 
ये कील ये मुँहासे, चालिस से आ रहे हैं।

आज़ाद ख़याली का, अपना ही एक मज़ा है 
अल्हड़ थे जो ख्याल, बालिग़ से आ रहे हैं। 

जबरन थी जो लगायी, वो गांठ खुल रही है 
अरमान भूले- बिसरे, खालिस से आ रहे हैं। 

जो मर चुका हो कब का, पूछे सवाल कैसे?
करके यही सवाल, कातिल से आ रहे हैं। 

देखें सुलूक कैसा, करती है अब जमातें?
हम सीख करके कलमा, काफ़िर से आ रहे हैं। 

क्या उम्र और दिल के, रिश्ते हैं सौत जैसे?
ये सवाल मेरे दिल में, वाजिब से आ रहे हैं। 

ये उम्र के तकाज़े, उस्ताद हैं बहुत 
जवाब हर सवाल में, ज़ाहिर से आ रहे हैं।

यूँ तो मेरे जज़्बात, नाज़ुक हैं शुरु से 
पर क्या करूं के आज, शातिर से आ रहे हैं। 

शक़ मेरी नीयतों पे, करके भी क्या करोगे 
नीयत से ये परे हैं, नाज़िल से आ रहे हैं। 

पाबंदियां वो सारी, हैं कर रहीं बग़ावत 
तेरी पूछने सलामत, हम फिर से आ रहे हैं। 

#NaveenMahajan ये उम्र के तकाज़े

#walkingalone
'ये उम्र के तकाज़े'

ठुकरा के छतरियों को, बारिश से आ रहे हैं 
ये कील ये मुँहासे, चालिस से आ रहे हैं।

आज़ाद ख़याली का, अपना ही एक मज़ा है 
अल्हड़ थे जो ख्याल, बालिग़ से आ रहे हैं। 

जबरन थी जो लगायी, वो गांठ खुल रही है 
अरमान भूले- बिसरे, खालिस से आ रहे हैं। 

जो मर चुका हो कब का, पूछे सवाल कैसे?
करके यही सवाल, कातिल से आ रहे हैं। 

देखें सुलूक कैसा, करती है अब जमातें?
हम सीख करके कलमा, काफ़िर से आ रहे हैं। 

क्या उम्र और दिल के, रिश्ते हैं सौत जैसे?
ये सवाल मेरे दिल में, वाजिब से आ रहे हैं। 

ये उम्र के तकाज़े, उस्ताद हैं बहुत 
जवाब हर सवाल में, ज़ाहिर से आ रहे हैं।

यूँ तो मेरे जज़्बात, नाज़ुक हैं शुरु से 
पर क्या करूं के आज, शातिर से आ रहे हैं। 

शक़ मेरी नीयतों पे, करके भी क्या करोगे 
नीयत से ये परे हैं, नाज़िल से आ रहे हैं। 

पाबंदियां वो सारी, हैं कर रहीं बग़ावत 
तेरी पूछने सलामत, हम फिर से आ रहे हैं। 

#NaveenMahajan ये उम्र के तकाज़े

#walkingalone