वैसे तो रोजाना ही कई चेहरे नज़र आते हैं और वो भूल भी जाते हैं पर कल शाम यारों के साथ यूं ही सड़क पर टहलते हुए यकायक वो हसीं चेहरा दिखा जिसे मैंने देखा तो देखता ही रहा काली चुनरी में सफ़ेद चांद सा चेहरा सफ़ेद चांद से चेहरे पर काला तिल जिसे देख जोरों से धड़का था दिल आंखें थीं उसकी दरिया के समान मुस्कराहट ने उसकी ले ली मेरी जान इतने में आया इक लट चेहरे पर उसके मेरे दिमाग के सारे नट बोल्ट थे खिसके क्या कहूं कि वो हसीं चेहरा कैसा था जंगली फूलों के बीच इक गुलाब जैसा था चेहरों के जंगल में एक चेहरा मेरा चेहरों के जंगल में वैसे तो रोजाना ही कई चेहरे नज़र आते हैं और वो भूल भी जाते हैं