Alone रे मन साधो जैसा हो जा चुप होके घाट का हो जा ई नदी हैं तोरा साथी चल इन सब गलियों में कहीं खो जा रे मन काहे कुटिया कोई ढूढ़े किस सोच में इतना डूबे ई मिट्टी तेरा बिस्तर बादल को ओढ़े सो जा रे मन साधो जैसे हो जा. .... रे मन क्यों प्रेम, लगन को भटके काहे दर दर खाए फटके किस चाहत का तोहे लोभ रहे क्यों मोह में खाए झटके ई सब लोग हैँ मन के मांझी तोहे छोड़ चलेंगे इसी घट पे रे मन काहे ख़्वाब को इतना जोड़े काहे ह्रदय को दुःख से तोड़े सब जानत हैँ तेरा, ना जग में कोई काहे विलाप की नींदीयां तोड़े रे मन...... रे मन साधो जैसे हो जा चल इन गलियों में कहीं खो जा. manas_subodh #रे मन #साधो #banaras #life