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कभी दर्द की आवाज बन, कभी हँसी का आगाज़ बन कभी प्रेम

कभी दर्द की आवाज बन, कभी हँसी का आगाज़ बन
कभी प्रेमिका का राज़ बन, कभी कवि हृदय का ताज बन
कभी क़शमक़श का नाज़ बन, कभी गीत मेरा साज़ बन
कभी एक चिरन्तन काज बन,
कभी जीवन पथ का रिवाज़ बन
कभी पुतलियों का फ़र्ज़ बन,
कभी चौखट पे सजता कर्ज़ बन
कभी शायरी का अर्ज़ बन, कभी चोट दिल का मर्ज़ बन

दिलदार नूरानी तेरी नज़रों से बहता नीर हूँ
दूरियों से हन्त आहत की अकथ तसवीर हूँ
धार धरती प्रेम की गंगा पलक का क्षीर हूँ
बेध बन्धन बुद्ध कर दूँ अश्रु अंकुर तीर हूँ "मेरे आँसू"
आँसू की प्रेमल बूँदों की कहानी को कविता के माध्यम से मिली एक अनूठी प्रस्तुति... 

मेरा ऐसा विश्वास है कि पाठकगण इस कविता के हर शब्द से जुड़ कर, दिल के दर्द का आँसुओं में तब्दील हो जाने की प्रक्रिया को अनुभव कर सकेंगे... 

कहने-सुनने को जब कुछ शेष न बचे, तभी, महत्ता  आँसुओं की बढ़ जाती है... जिसकी तरलता में भींज कर मन की मलिनता पवित्र हो जाती है...
जिसमें डूब कर निकलने से असह्य कष्टों से क्षणमात्र की निवृत्ति हो जाती है... और एक सुखद आरम्भ की अनुभूती हो जाती है...
कभी दर्द की आवाज बन, कभी हँसी का आगाज़ बन
कभी प्रेमिका का राज़ बन, कभी कवि हृदय का ताज बन
कभी क़शमक़श का नाज़ बन, कभी गीत मेरा साज़ बन
कभी एक चिरन्तन काज बन,
कभी जीवन पथ का रिवाज़ बन
कभी पुतलियों का फ़र्ज़ बन,
कभी चौखट पे सजता कर्ज़ बन
कभी शायरी का अर्ज़ बन, कभी चोट दिल का मर्ज़ बन

दिलदार नूरानी तेरी नज़रों से बहता नीर हूँ
दूरियों से हन्त आहत की अकथ तसवीर हूँ
धार धरती प्रेम की गंगा पलक का क्षीर हूँ
बेध बन्धन बुद्ध कर दूँ अश्रु अंकुर तीर हूँ "मेरे आँसू"
आँसू की प्रेमल बूँदों की कहानी को कविता के माध्यम से मिली एक अनूठी प्रस्तुति... 

मेरा ऐसा विश्वास है कि पाठकगण इस कविता के हर शब्द से जुड़ कर, दिल के दर्द का आँसुओं में तब्दील हो जाने की प्रक्रिया को अनुभव कर सकेंगे... 

कहने-सुनने को जब कुछ शेष न बचे, तभी, महत्ता  आँसुओं की बढ़ जाती है... जिसकी तरलता में भींज कर मन की मलिनता पवित्र हो जाती है...
जिसमें डूब कर निकलने से असह्य कष्टों से क्षणमात्र की निवृत्ति हो जाती है... और एक सुखद आरम्भ की अनुभूती हो जाती है...