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हवस का भुख मिटा तो, दोनों ने अपने-अपने हिस्से समेट

हवस का भुख मिटा तो, दोनों ने अपने-अपने हिस्से समेटे
एक ने तन ढकी तो दुसरे ने अपने मन समेटे,
निशां बन बिखरी थी, वहां हजारों टुकड़े भरोसे के
किसी ने अस्थीयां समेटी, तो दुसरे ने उनके जनाजे समेटे॥

©Saurav Ranjan when parameters of love changes...

#standAlone
हवस का भुख मिटा तो, दोनों ने अपने-अपने हिस्से समेटे
एक ने तन ढकी तो दुसरे ने अपने मन समेटे,
निशां बन बिखरी थी, वहां हजारों टुकड़े भरोसे के
किसी ने अस्थीयां समेटी, तो दुसरे ने उनके जनाजे समेटे॥

©Saurav Ranjan when parameters of love changes...

#standAlone

when parameters of love changes... #standAlone #Love