क्या करूं जो ना मिले जहन्नम मैं शराब दीवाने ग़ालिब। मेरे दामन पे कुफ़्र के निशा अभी बाकी है क्यों ना हो हसरतें बलानोशी कि यही पूरी न जाने कौन सी इबादत से जन्नत मिला करती है #Strive_for_greatness