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स्व की श्रद्धा के समक्ष, आदित्य हू... आत्म वन्दित

 स्व की श्रद्धा के समक्ष, आदित्य हू...
आत्म वन्दित चंद्र कला का लक्षण, विलक्षण हू ...
स्व कर कर्म गति का योजक, मोक्ष प्रेम तृष्णा हू ...
कृष्णा हू ...कृष्णा हू !!!
 स्व की श्रद्धा के समक्ष, आदित्य हू...
आत्म वन्दित चंद्र कला का लक्षण, विलक्षण हू ...
स्व कर कर्म गति का योजक, मोक्ष प्रेम तृष्णा हू ...
कृष्णा हू ...कृष्णा हू !!!

स्व की श्रद्धा के समक्ष, आदित्य हू... आत्म वन्दित चंद्र कला का लक्षण, विलक्षण हू ... स्व कर कर्म गति का योजक, मोक्ष प्रेम तृष्णा हू ... कृष्णा हू ...कृष्णा हू !!!