जले हुए रिश्तों कि राख़ में , मै अपना घर तलाश्ता हूं, मै आज भी उन खोई रहो में, अपना सा कोई शक्स तलाशता हूं, मजबुर नहीं हूं हैरान हूं, मै हर वक़्त क्यूं वो वक़्त तालश्ता हूं, जले हुए रिश्तों कि राख़ में , मै अपना घर तलाश्ता हूं । #srkrtalk #srkrtalk