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ख्वाबों की बस्ती में यारों के संग मस्ती में हम सब

ख्वाबों की बस्ती में
यारों के संग मस्ती में
हम सब देखो झूम रहे
हिंडोले खाती कश्ती में।।

एक दिन तन्हाई में
ख्वाबों की परछाई में
नज़ारा कितना धुंधला है
देख! इतनी ऊंचाई में।।

ज़ख्म हमारे गहरे हैं
साहिल पे आके ठहरे हैं
नींद ना आती रातों को
हरदम देते पहरे हैं।।

हरदम करते बाते हैं
जो साथ हमारे आते हैं
इंसानों की बस्ती में
वही दिन और रातें हैं।।

इतनी मुझको आस है
वो अब भी मेरे पास है
बेदर्द ज़माना जो भी बोले
वो तो मेरी खास है।। ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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ख्वाबों की बस्ती में
यारों के संग मस्ती में
हम सब देखो झूम रहे
हिंडोले खाती कश्ती में।।

एक दिन तन्हाई में
ख्वाबों की परछाई में
नज़ारा कितना धुंधला है
देख! इतनी ऊंचाई में।।

ज़ख्म हमारे गहरे हैं
साहिल पे आके ठहरे हैं
नींद ना आती रातों को
हरदम देते पहरे हैं।।

हरदम करते बाते हैं
जो साथ हमारे आते हैं
इंसानों की बस्ती में
वही दिन और रातें हैं।।

इतनी मुझको आस है
वो अब भी मेरे पास है
बेदर्द ज़माना जो भी बोले
वो तो मेरी खास है।। ♥️ Challenge-571 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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