दिन को रात से मिलाती वो शाम की पहर,, हल्का सा उजाला अंधेरे को समेटे हुए रह जाता,,, डूबता हुआ सूरज मध्यम पड़ी किरणों से नीले आकाश को लालिमा युक्त कर जाता,,, क्षितिज में खड़ा चांद अपने पलछिन झील के पानी में उतारता,,, कुछ तारे टिम टिम चमचमाते पूरे आसमान में अपना प्रभुत्व दिखाते,,, मंत्र मुक्त कर देती प्राणों को हर लेती,,, शाम जब ढलती रात अपने आगोश में ले लेती,,, पंछी भी लौट आते घोंसलों में कामगार भी लौट आते हैं अपने घरों में,,, अद्भुत रहस्य प्रकृति का,,, चूक जाता है व्यस्त जिंदगियों से,,,