---गुरू--- ●●●●●●●● शिखरिनी छंद गुरू नमन माँ प्रथम गुरू है पिता धरम। संस्कार दिया ममतामयी गुरू हैं मेरी माता ।। त्याग किया है सबसे बड़ा मुझे ज्ञान दिया है।। कमल पुष्प सम मन जिनका हृदय पुंज।। दीक्षा देते जो बिना भेदभाव के गुरू मेरे वो।। ©® *हेमाश्री प्रयाग।।* #शिखरिनी छंद.