चिड़िया
आज एक खूबसूरत भूरे रंग के चिड़िया का जोड़ा मेरे आंगन में रहने आया है, सुबह सुबह अपनी चहचहाट से उन दोनों ने मुझे बताया है।
मानो कह रहे थे के आज से हम तुम्हारे पड़ोसी है।
गांव छोड़ कर शहर को उन्होंने अपनाया है, बढ़ा सा पेड़ छोड़ कर एक छोटे से दीवार के गड्ढ़े को अपना घर बनाया है।
जो मिठे फल खाते थे, उन्हें मैन कचरे से दाने चुगते पाया है।
लगता है जिंदगी ने उन्हें भी एडजस्टमेंट करना सिखाया है, तभी तो तिनका तिनका जमा करके उस गड्ढ़े को उन्होंने सजाया है।
मैंने पूछा चिड़िया से हरा भरा गाव छोड़ कर इस कंक्रीट के जंगल में क्यों आये हो, वो मुस्कुराई और कहा, पेड़ हमारा कोई काट गया, हमे बेघर कर वो अपना घर बना गया। धीरे धीरे फल भी कम हुए तो शहर का रुख करना पड़ा।
अब एक काम मैं रोज़ करता हूँ, थोड़े से दाने उस जोड़े के लिए रोज़ अपने आंगन की दीवार पर छोड़ता हूं।