वो माशूम सी नाज़ुक बच्ची एक आंगन की कली थी वो जिसकी माशूम अदाओ से माँ बाप का दिन बन जाता था जिसकी एक मुश्कान के आगे पत्थर भी मोम बन जाता था वो छोटी सी बच्ची थी ढंग से बोलना पाती थी देखके जिसकी मासुमियत उदाशी मुश्कान बन जाती थी जिसने जीवन के केवल तीन बसंत ही देखे थे उसपे ये अन्याय हुआ ये कैसे विधि के लेखे थे एक तीन साल की बच्ची पे ये कैसा अत्याचार हुआ एक बच्ची को बचा ना सके ये कैसा देश लाचार हुआ उस बच्ची पे जुल्म हुआ वो कितना रोयी होगी मेरा कलेजा फट जाता है माँ कैसे सोयी होगी जिस माशूम को देख के मन्न में प्यार उमड़ आता है देख उसे किसी के मन्न में हैवान कैसे उतर आता है कपड़ो के कारण होते रेप जो उन्हें बतलाऊ में आखिर तीन साल की बच्ची को साड़ी कैसे पहनाऊँ में गर अब भी हम ना सुधरे तो एक दिन ऐसा आएगा इस देश को बेटी देने में भगवान भी जब घबराएगा #Justicefortwinkle