सोचा है आज हमनें , यह समझा ; यह जाना हैं नहीं रहना बैठे ; कुछ करके ; दिखाना है देखा था , हसीन ख्वाबों में ; जो सच होते उसे कोशिश के दम पर आज हमें पाना है कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद सोचा है....कीर्तिप्रद