Nojoto: Largest Storytelling Platform

अब दम मेरा, मेरी सांसों में उलझने लगा है ! की हर स

अब दम मेरा, मेरी सांसों में उलझने लगा है !
की हर सवेरे, घना अंधेरा सा होने लगा है !!

लोग कहते की, मैं अब तुमसा लगने लगा हूं !
अब मैं अक्सर, खामोश रहने लगा हूं !!

रह गई है, तो बस चादर की सिलवटें ! 
जिनसे आज भी जिक्र, सिर्फ तुम्हारा होता है !!

क्यों रूखी है ये सांसें, इनका हिसाब कब होगा !
मैं भी हवा हो जाऊंगा , जब भी पास तुम होगी !!

हर दुनिया फिर नई होगी, हर दर्द से राहत होगी !
यही सोचके दिन ढल रहे है, की कल फिर सुबह होगी !!

रात का चांद भी चमक छोड़, तेरे दीदार को तरसे है !
अब रात भी सोने लगी है, तो सिर्फ तेरे ही ख्याल बरसे है !!

©Naveen Diariess 
  अब दम मेरा, मेरी सांसों में उलझने लगा है !
की हर सवेरे, घना अंधेरा सा होने लगा है !!

लोग कहते की, मैं अब तुमसा लगने लगा हूं !
अब मैं अक्सर, खामोश रहने लगा हूं !!

रह गई है, तो बस चादर की सिलवटें ! 
जिनसे आज भी जिक्र, सिर्फ तुम्हारा होता है !!
naveenchauhan7549

Naveen

Super Creator

अब दम मेरा, मेरी सांसों में उलझने लगा है ! की हर सवेरे, घना अंधेरा सा होने लगा है !! लोग कहते की, मैं अब तुमसा लगने लगा हूं ! अब मैं अक्सर, खामोश रहने लगा हूं !! रह गई है, तो बस चादर की सिलवटें ! जिनसे आज भी जिक्र, सिर्फ तुम्हारा होता है !! #Poetry #NaveenChauhan #naveen_diariess #quoteconteat

416 Views