अब दम मेरा, मेरी सांसों में उलझने लगा है !
की हर सवेरे, घना अंधेरा सा होने लगा है !!
लोग कहते की, मैं अब तुमसा लगने लगा हूं !
अब मैं अक्सर, खामोश रहने लगा हूं !!
रह गई है, तो बस चादर की सिलवटें !
जिनसे आज भी जिक्र, सिर्फ तुम्हारा होता है !! #Poetry#NaveenChauhan#naveen_diariess#quoteconteat