जब बुढ़ापा आयेगा... इतना कुछ बदल जायेगा, लगेंगे उनको भी बोझ, जिनके लिए जीवन भर की सुख की खोज, जवानी के दिनों से भी ज्यादा, अपने पर फिर खर्चने से सोचा जायेगा, एक दिन जब बुढ़ापा आयेगा... किसीके पास बैठ बतियाना मन में आयेगा, पर कान भी सुनने में असमर्थ, धीरे-धीरे मन की मन में रख मर जायेगा, एक दिन जब बुढ़ापा आयेगा... खाना,पीना,पहनना,ओढ़ना, मिलना हंस खिलखिलाना मन में ही रह जायेगा, दाँत बिना जब कोई हसेगा, फोटो ले कोई ज़िंदादिली बता पोस्ट चढायेगा, एक दिन जब बुढ़ापा आयेगा... 👇 (आगे की पंक्तियां अनुशीर्षक में पढ़े) ©Priya Gour जब बुढ़ापा आयेगा... स्वाद कलिकाएँ नहीं करेगी काम, हर खाना बेस्वाद प्रायः हो जायेगा, और ये बात वयस्क जनों को समझाना, बहुत मुश्किल हो जायेगा, एक दिन जब बुढ़ापा आयेगा... पेंशन बनवाने का समय तब आ जायेगा, कुछ लगेंगे बोझ अपनों को,