चंन्द्रमा की लालिमा चाँदनी बन कर इन आँखो में समा रही हैं। ना जाने किस हसीन मुखड़े की दस्तक अब भी बेवजह दी जा रही हैं।। जाना की रात के अंधेरे में वजह हैं चाँद पर बातें करने की यादों में डूब जाने की। मुझे दिन के उजाले में भी यें अर्ध चाँद की तर्कश किन बातों की यादें दिलाये जा रहीं हैं।। जाने अनजाने सी दिल ही दिल में उलझी उलझी सी कैसी यें बातें हैं। सुलझने को भी जो ना सुलझी वो सब बातें अब भी याद आ रहीं हैं।। अतरंगी सी वो बातें इंद्रधनुषी रंगों के संगम सी दिलों में यें यादें। मेरे इस "चीखते मौन के बिच" तेरी यें दस्तखे अब क्यों दी जा रहीं हैं।। नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳