तबाहियों का आगाज है जल रहे.. सपनें, ख़ाक हो रहे सारे ख्वाब! ज़िंदगी बेबस है जीने को, इन्सां की हरकतों से मौत भी हैरान! कैसा ज़ुल्म है रूह को जला रहे, अंगारों से भरी एक-एक साँस फूँक रहे! हो तन्हाई या महफ़िल हर माहौल में शामिल, कर रहे धुआँ-धुआँ ज़िंदगी अपनी- ऐसे शान में फूंकते है धुआँ जैसे कर रहे हों कोई कमाल! अब भी सवार लो और समेट लो कुछ साँसें ऐसे जिस्मों को ना मिलती मौत, जीते है तिल-तिलकर के। विषय 👉 धुआँ-धुआँ सी जिंदगी (नशे में जलती जिंदगी) Open for Collab 🔓 पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूलें😊 Collab करने से पहले कृपया पिन पोस्ट अवश्य पढ लें😊 🌸रचना न्यूनतम 6 पंक्तियों में अवश्य होनी चाहिए।