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मेरे हर सपने को अदिकार ह रातो को जगाये मुझे ये मुझ

मेरे हर सपने को अदिकार ह
रातो को जगाये मुझे ये मुझे भी स्वीकार ह 
पर तू क्यों दूर ह ये सवाल हज़ार ह 
हकीकत नहीं जानती तू मुझे खुद से ज्यादा तुजसे प्यार ह 
तुजे भी अदिकार ह ये 
पर समझती को नहीं ये तेरी हार ह 
तुजे भूत जो सवार ह किसी और का 
पागल कहि उसको भी किसी और से प्यार ह 
ना मान ह सम्मान ह 
फिर भी जिंदगी पे अभिमान ह 
बर्दास्त नहीं मुझे अपनों से बेगर्दी
क्यूंकि उन्ही से तो मेरी पहचान ह
smarty ..... B@+++
मेरे हर सपने को अदिकार ह
रातो को जगाये मुझे ये मुझे भी स्वीकार ह 
पर तू क्यों दूर ह ये सवाल हज़ार ह 
हकीकत नहीं जानती तू मुझे खुद से ज्यादा तुजसे प्यार ह 
तुजे भी अदिकार ह ये 
पर समझती को नहीं ये तेरी हार ह 
तुजे भूत जो सवार ह किसी और का 
पागल कहि उसको भी किसी और से प्यार ह 
ना मान ह सम्मान ह 
फिर भी जिंदगी पे अभिमान ह 
बर्दास्त नहीं मुझे अपनों से बेगर्दी
क्यूंकि उन्ही से तो मेरी पहचान ह
smarty ..... B@+++