मेरे हर सपने को अदिकार ह रातो को जगाये मुझे ये मुझे भी स्वीकार ह पर तू क्यों दूर ह ये सवाल हज़ार ह हकीकत नहीं जानती तू मुझे खुद से ज्यादा तुजसे प्यार ह तुजे भी अदिकार ह ये पर समझती को नहीं ये तेरी हार ह तुजे भूत जो सवार ह किसी और का पागल कहि उसको भी किसी और से प्यार ह ना मान ह सम्मान ह फिर भी जिंदगी पे अभिमान ह बर्दास्त नहीं मुझे अपनों से बेगर्दी क्यूंकि उन्ही से तो मेरी पहचान ह smarty ..... B@+++