अलमारी मे बंद उन कागजो़ं मे,कुछ कहानी बाकी तो है, माना सूख गई है आँखें,पर कहीं कुछ पानी बाकी तो है, यह कलम तरसती है,कागजों को छूने को, शुक्र है श्याही मे कुछ रवानी बाकी तो है, इस भ्रम मे हूँ इस भ्रम मे रहने दीजिए, मै उसका दिवाना,वो मेरी कुछ दिवानी बाकी तो है, सोचता था क्या होगा जब बाल सुफैद हो जाएंगे,जब हाथ थक जाएंगे, कवी भी कहाँ बुढे होते है,एक जवानी गुजरी तो एक जवानी बाकी तो है, मर भी गये तो क्या,मसान की जलती लकडी से अंगारे लिखेंगे, मेरे ख्यालों की गंगा से,कागज़ की प्यास बुझानी बाकी तो है ।। #yqbaba #yqdidi #yqchallenge #worldpoetryday #happypoetryday #paper #hindi #yqbhaijan