पिंजरे में कैद चिड़िया जैसा लगा था,जब तुमने मुझे "लोग क्या कहेंगे" कहा था,,, कभी तो मुझे ऐसा कहो कि तेरे हर वक्त में मैं तेरे साथ रहा था।। समाज की बातें,ससुराल के ताने,किताबो से दूरी, मां से न मिल पाने की मजबूरी सब कुछ सिर्फ तुम्हारे लिए ही तो सहा था।। छोड़ के सारे सपने, माना सबको अपना, जो थे तुम्हारे अपने,, संवारा आंगन तुम्हारा बनाया उसे ही घर हमारा,,,,मांगी मुट्ठी भर खुशी तो बस,,, पिंजरे में कैद चिड़िया जैसा लगा था, जब तुमने मुझे"लोग क्या कहेंगे"कहा था। ©kajal #लोगो की राय #एक लडकी की भावना #खुशी की आशा #ससुराल का घर #Flower