मुक्तक -- पहचान भारत ★★★★★★★★★★ दया श्रद्धा धरम बिसवास हे, पहचान भारत के। बहुत पबरित हावय गीता, अउ बेद पुरान भारत के। बोहावत हे जम्मो हिरदे म, निसदिन प्रेम के गंगा। तभे संसार म हावय, बहुत सम्मान भारत के। ★★★★★★★★★★★ डिजेन्द्र कुर्रे"कोहिनूर" ©डिजेन्द्र कुर्रे Atul vasava AMBRISH CHANDRA BHARAT