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करना ही था. इसलिये दिना अपने दोनों बच्चों को साथ म

करना ही था. इसलिये दिना अपने दोनों बच्चों को साथ में लेेेकर जहाँ काम मिलता वहीं जाया करती थी. और दिनभर मेहनत कर के जो भी मजदूरी मिलती, उससे अपना और अपने बच्चों के पेट भरती थी. ऐसा ही समय बितता गया और चलता रहा. लेकिन एक दिन दिना को शरीर में थोडी कमजोरी महसुस होने लगी. फिर भी वह काम पर गई. एसेे ही दो-तीन दिन दिना काम पर जाती रही, लेकिन उसकी शरीर की कमजोरी कुछ ठीक नही हो रही थी , बल्कि और बढती जा रही थी. ऐसे में काम पर जाना दिना के लिये कठिन हो गया. दिना बहुत चिंतित रहने लगी, अगर काम पर नहीं गयीं तो मेरे बच्चे भूखे मर जाएंगे. उसी चिंता ने दिना को और कमजोर कर दिया, इतनी कमजोर कि उठने बैठने के लिये लकडी का सहारा लेना पडता था. इस कारण उसकेे बच्चे भूखे मर रहे थे.

©Anita Gupta
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