White 1. काश! भूलने की बीमारी मयस्सर होती; भूल जाता कुछ पल गम भुलाने को।। 2. शराब का एक प्याला भी यहां नसीब नहीं; भला कैसे भूल जाऊं मैं इस जमाने को।। 3. रेत के ढेर पर उम्मीदों की बिसात को पंख लगे; ढह गया पूरा अरमाँ, खंडहर भी न हाथ लगे।। 4. कभी महफ़िल में हवाओं का शोर गुंजा करता था; थम गई वो हवा, हवा में भी अब गंध घुला करता है।। 5. तकलीफों को खुद तक संभालकर रखा कीजिये; यहां लोग मरहम कम, चोट ज्यादा कर जाते है।। 6. इतनी इच्छा न पाला करिये अपनी वेदना बताने को; दुःख में आप अक्सर खुद को अकेला ही पाते है।। 7. मुझें भी ख्वाहिश थी कभी आसमाँ पर चढ़ने की; पर, राह में किसी ने फिसलन को तेल गिरा रखा था।। 8. शौक आज भी है महफ़िल की आवाज फिर से सुनने को; पर, यहां हर कोई अपने स्वार्थ की गीत लगा बैठा है।। 9. बिखरे थे जो तारे ज़माने में,उन्हें मिलाने की कोशिश करता हूं। भले लगे कोई कीमत, उनकी कीमत बढाने की कोशिश करता हूं।। 10. मुझे अब शौक नहीं है किसी से गुफ़्तगू की; अक्सर, मुझे ही पहले आगे क्यों आना पड़ता है ? 11. राह में लोगो के जीवन आज भी समर्पित है उम्मीद जगाने को; भला है, उम्मीदों को तोड़ने का रोग मुझमे तो नहीं है।। ©Saurav life #love_shayari #sauravlife