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वैसे तो सब बढ़िया है तब भी इस मन को आराम कहा है द

वैसे तो सब बढ़िया है तब भी इस मन को 
आराम कहा है
दिन और शामे तो खूबसूरत है पर दिल जो
इस सुकून को महसूस कर सके, 
उस दिल को अधूरे सपनों से आराम कहा है
होठों पर आकर मुस्कान चली भी जाती है पर
 हंसी से आई
चेहरे पर चमक का नामोनिशान कहा है
दिन आकर चले जाते है और शामे भी 
ढल ही जाती है पर
मिटा पाऊं इस अंदर की कश्मकश को उसका इंतजाम कहा है

©Priya's poetry life
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