बात मोहब्बत की करता हूँ आशिक़ हूँ जीतेजी किसी पर मरता हूँ आशिक़ हूँ मुझे मजनू रांझा देवदास मत समझो यारो मैं कान्हा से मिलता जुलता हूँ आशिक़ हूँ हूँ शर्म नादानी बचपने की एक तिजोरी मैं बस उसके सामने ही खुलता हूँ आशिक़ हूँ चाह जिस्म की रखने वालो मे नहीं आता मैं तलब रूह की रखता हूँ आशिक़ हूँ सजाया नहीं मुखौटा चेहरे पर कोई भी जो दिल से हूँ वही दिखता हूँ आशिक़ हूँ सब मशरुफ़ हैं लिखने में मुस्तकबिल अपना मैं प्यार प्यार प्यार लिखता हूँ आशिक़ हूँ बात मोहब्बत की करता हूँ आशिक़ हूँ जीतेजी किसी पर मरता हूँ आशिक़ हूँ मुझे मजनू रांझा देवदास मत समझो यारो मैं कान्हा से मिलता जुलता हूँ आशिक़ हूँ हूँ शर्म नादानी बचपने की एक तिजोरी मैं बस उसके सामने ही खुलता हूँ आशिक़ हूँ