"मेरी अंतहीन आकांक्षाओं का अंत कब होगा। मैं कर सकूं घमण्ड,दिल मेरा संत कब होगा। कब होगा समभाव, सुख हों या धूप दुखों की। है शून्य सा अस्तित्व मेरा,ये अनंत कब होगा।" ©Akanksha jain #SelfTalk #selfintrospection #nojotowriters #Thoughts