ए जिंदगी खुल के,तुझे जीना चहती हूं। तुझे हंस के गले लगाना चाहती हूं। कुछ अधूरे ख़्वाब,पूरा करना चाहती हूं। कुछ नए सपने,बुनना चाहती हूं। ए जिंदगी खुल के,तुझे जीना चाहती हूं। ©Nidhi Verma #ए_जिंदगी