नाव मेरी है अकेली राह नई है उत्तरदायित्व बढ़ गई है, मैंने घर त्याग दिया है सन्यासी बन जाऊंगा मोहमाया से परे अब नव राह पर योगी के मार्ग पर मूलता के मार्ग पर सत्य के मार्ग पर निस्वार्थ दान,कंगाल के मार्ग पर,दोनों तो उत्तरदायित्व बढ़ गई ना मुझे गृहस्थ में सामंजस्य या यूँ कहुँ सत्य का मार्ग दे दो गीता मानते हो तो जन्म के मूल्य के लिए धर्म पर रहो ।। सुप्रभात। जीवन रूपी नदी में सब अपनी अपनी नावों में सवार हैं और अकेले ही हैं। #नावअकेली #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #life #poetry