krishna vani सुकून-ए-एहसास पवन की मनमानी, मन में चले कहानी, दिल में बहे रवानी, यह आंखे है नूरानी। धरा सा सुंदर मस्तक, उस पर हृदयविदारक लट, जग में अनंत विषयक, अधरों पर सदा मुस्कान की दस्तक। जब लगे, अकेली हो, याद घर की आती हो, एक यार तुम्हारे साथ है, 'उत्कर्ष' तुम, नाम पुकारो। सुकून-ए- एहसास नील धारा में, नदियां स्वयं ही मार्ग निकाले। विश्वास प्रज्ज्वलित, इरादों में, सृष्टि स्वयं स्वरुप संवारे। ©Ankit verma 'utkarsh' #God ❤️❤️ #Krishna #Radha #❤️❤️ #shivykarsh❤❤