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सांसों की तरह आती जाती है, तेरी यादें है या सैलाब

सांसों की तरह आती जाती है, तेरी यादें है या सैलाब है ये

तैर न पाए डूब गए सब, जाने कैसा फैलाव है ये।

सागर में डूबे निकल गए फिर, जा पहुंचे लबे साहिल है

और भवरे गम में ऐसे डूबे, की लगे की अबतक हम राहिल है।

©Muntashir Soul सांसों की तरह आती जाती है।
सांसों की तरह आती जाती है, तेरी यादें है या सैलाब है ये

तैर न पाए डूब गए सब, जाने कैसा फैलाव है ये।

सागर में डूबे निकल गए फिर, जा पहुंचे लबे साहिल है

और भवरे गम में ऐसे डूबे, की लगे की अबतक हम राहिल है।

©Muntashir Soul सांसों की तरह आती जाती है।