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प्रेम पर कविता,,प्यास बुझ जाए तो सबनम खरीद सकता हू

प्रेम पर कविता,,प्यास बुझ जाए तो सबनम खरीद सकता हूं।जख्म मिला जाए तो मरहम खरीद सकता हूं।ये मानता हू की दौलत नहीं मगर  पाया,मगर तुम्हारा हक एक गम खरीद सकता हूं।।,

©Nk Gupta Ji
  प्रेम पर कविता
nkguptaji9007

Nk Gupta Ji

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प्रेम पर कविता

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