किसी को यूँ पास से गुजरते देखा है जैसे आंधियों में घर उजड़ते देखा है जो सितारों से गले मिलता था कभी उसे मैंने इक तस्वीर से लड़ते देखा है कभी आईना भी था हमशक्ल मेरा आज उसी में नजर उलझते देखा है अपनों की बस्ती में भी अकेले हैं हम लोगों ने मुझसे समंदर गुजरते देखा है कुछ ज़ख्म तो यूँ ही हरा रखा है मैंने जबसे उसे मेरे ग़म में निखरते देखा है शिवांग द्विवेदी ऐ ख़्वाबों में खो जाने वाले मुसाफ़िर। तेरी याद किसी को उम्र भर जगाएगी।। #shivang #love #life #bewafai