माना की दूरियाँ कुछ बढ़ सी गयीं हैं, लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है. माना की दूरियाँ कुछ बढ़ सी गयीं हैं, लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है.