- लाचार कुंठाग्रस्त व्याकुल आदमी और औरत दो शब्द हैं लिंग बोधक। वर्तमान परिस्थितियों में आदमी की वास्तविक स्थिति बहुत बदतर है । एक घर को घर बनाने के लिए उसके परित्याग का कोई मूल्य नहीं है , मैंने इसे बहुमत के तौर पर पाया है , जैसे एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर सकती है वही प्रवित्ति आदमी के साथ है , बहुत से महान इंसानों (नारीवादी ) को मैने देखा और सुना है जो ऐसे अभद्र असंगत और अलौकिक शब्दों का प्रयोग करते हैं कि अपने आदमी होने के अस्तित्व पर खुद से सवाल करना पड़ जाता है की मैं आदमी क्यूँ पैदा हुआ इंसान क्यूँ नहीं ....