ना जाने कितनी बार सम्भाला मैने उसे जो कहता था ... मैं सम्भाल लूंगा तुझे .. (Read in Caption) Dr.Vishal Singh "इतना अच्छा निशाना क्या रेसिपी हैं आप पर ... क्या खाती है आप...." गाली " बहुत दिन से तमन्ना थी कि एक फिल्म आयी है " सांड की आंख " उसे देखा जाये तो कल मौका मिल ही गया ... यह जो डॉयलाग आपने शुरू में पढ़ा वह उसी फिल्म का है जिसमें दो महिलाएँ प्रकाशी तोमर एवं चन्द्रो तोमर काबिलियत के पीद्दे जो राज की बात है उसे सुबह से रात तक जो गाली मिलती है उसें बता रहीं हैं, जी गालियां खानें से उनको निशाना लगाना नहीं आया बल्कि अपनीे एक ऐसी कमजोरी जो कि एक पितृसत्तात्मक समाज की उनके लिए देन हैं उसे अपना हौंसला बना लिया... ना कोई विशेष सुबिधा बस महिला होने के कारण तिरस्कार बस सुबह से काम , खेत ,पशु बच्चे, पति ,परिवार की जिम्मेदारी ....ओर फिर अपने लिए लङी अपनी आने बाली पीढ़ी के लिए लङी और बन गयी देश की सुपर से सुपर निशानेबाज और ना केवल इतिहास रखा बल्कि सुनहरे भविष्य की नींव भी रख दीं ... ऐसा भविष्य जिसमें गौरवमयी इतिहास को देखकर ना जाने कितनी बेटियां सुनहरे भविष्य के ना केवल सपने देखेंगी बल्कि उन्हें पूरा भी करेंगी I फिल्म में एक और प्रसंग की चर्चा आपसे करता हूँ... निशानेबाजी प्रतियोगिता में एक दृश्य है जहा दोनों के साथ अलवर महारानी साहिबा भी भाग ले रहीं हैं और बड़ी सादगी से दोनों महिलाओं कें विजयी होने पर उन्हैं बधाई दे रही है और फिर अपने आलीशान महल में उनको दावत में बुलाना.... मुख्य अतिथि का सत्कार देना ... और जब खाने की मेज पर भोजन की समाप्ति पर हाथ साफ करने के पानी में नींबू डालकर पीने पर महारानी साहिबा का भी उनके जैसा व्यवहार करना जिससे उन दोनों महिलाओं को कुछ ऐसा ना लगे की उन्होंने कुछ गलत कर दिया है .. I एक प्रसंग और जाता है जब चन्द्रो दादी को पता चलता है कि उनकी प्यारी बिटिया का चयन नहीं हो पाया है और इस वजह से प्रतियोगिता में वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी तो दूसरी दादी प्रकाशी तोमर भी हार गयी खुद व खुद... गजब का प्यार दोनों में .. बहनों जैसा... दूसरी कैसे जीत जाती जब वो हार गयी.... कभी विजय का स्वाद अकेले चखा ही नहीं तो फिर हार का स्वाद भी साथ ही होना चाहिए .... I अन्त में सीमा तोमर का भारत का नाम रोशन करना और अपना नाम सीमा प्रकाशी तोमर लिखना.... पितृसत्ता पर करारा जवाब .... जय हो नारी शक्ति की.. अक्सर सुनने में मिलता है.... महिला महिला की दुश्मन होतीं हैं पर यहा तो कहीं देखने को नहीं मिला... चाहे दोनों का साथ साथ प्रतियोगिता खेलना और प्रथम या द्वितीय स्थान प्राप्त करना या फिर महारानी साहिबा का प्रशंसनीय व्यवहार.... महिलाएं सहनशीलता ,त्याग ,प्रेम ,ममता की परछाई होती है..... बखूबी चित्रण हैं यहां.... दुर्गा से काली बनने तक का अद्भुत सफर... बेटी, पत्नी, मां ,दादी ,सास की भूमिका... अद्भुत ....