मिट्टी का घरौंदा भी, अपना घर बनेगा , तू साथ रहा तो फिर क्या मंज़र बनेगा। वो अपने दिल को कई मर्तबा जोड़ चूका, इश्क़ से यारी में , अच्छा रफ़ूगर बनेगा। राह चलते तू उन पत्थर को हटाया कर , वरना तेरे रास्तें की वो ठोकर बनेगा। यूं ना हंसाया कर , हर किसी को सरेराह, जमाना तो हंसेगा पर तू जोकर बनेगा । जिंदगी को अपनी खुद्दारी से जी "राणा" सबकी जी हुजूरी में रहा तो नौकर बनेगा। #मिट्टी का #घरौंदा भी, अपना #घर बनेगा , तू साथ रहा तो फिर क्या #मंज़र बनेगा। वो अपने #दिल को कई मर्तबा #जोड़ चूका, #इश्क़ से यारी में , अच्छा #रफ़ूगर बनेगा। #राह चलते तू उन #पत्थर को हटाया कर , वरना तेरे रास्तें की वो #ठोकर बनेगा।