भोर की किरण निकलते ही उम्मीद हो जाती है कि, यह उठता हुआ शोर कह दे जीवन अभी बाक़ी है। अँधेरे में जुगनुओं सी यादें,उड़कर गुम जाती हैं, कि चाँद की रोशनी आएगी,तेज़ाबी बादल छँटने बाक़ी हैं। हिम्मत-ए-मर्दा मदद-ए-ख़ुदा,कहते सबको सुना, इस वक्त तो हिम्मत-ए-औरत की दाद देना बाक़ी है । मेहनत करती है ज़िन्दगी भर जो पूरी ताक़त से। लेक़िन अभी भी उसको मिलना सम्मान बाक़ी है। तमाम बन्दिशें लगी है सफ़र में,पाना मुक़ाम राही को, मुफ़लिसी में भूख से बिलखते लोगों का इंतजाम बाक़ी है। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेंगे #गुलिस्ताँ #yqdidi #yqdada #YourQuoteAndMine Collaborating with Shelly Jaggi