दीपोत्सव लाए जीवन में सबके बहार भटके हुए हुए जो इस जहां में उनके भी हिस्से आए लोगों का प्यार दीप जलें हर घर इतने , रह न जाए कहीं अंधियार लोगों में सद् बुद्धि आए , रहे न द्वैश दुर्व्यवहार मिल जुल कर सब मंगल गाएं , गाएं राग महल्हार चारों दिशाओं में बिखरा हो भगवन् प्रकृति के संग जीवों में के मध्य आपस में प्यार बस दिवाली कर दो बस इतना उपकार पं. अश्वनी कुमार मिश्रा #gif