कभी कभी तन्हाई में, ख़ुद से मैं बातें कर लेता हूँ, उलझें हुए मसलों पे, राय-मशविरा कर लेता हूँ... बुरा नहीं इतना भी, जितना लोगों ने बना रखा हैं मुझे, अकेले में मिल कर, कभी, ख़ुद को समझा देता हूँ... मतलब कि भीड़ से तो बेहतर हैं, ख़ुद का यार हो जाऊ, तकलीफों कि गुंजाईश कम होगी, फिलहाल तज़ुर्बा ये रखता हूँ... माना के आसाँ नहीं, ख़ुद ही, ख़ुद का सरपरस्त हो जाऊ, मुश्किलें शुरूआती, बाद कि तस्सल्ली है, मैं कुछ यूं मानता हूँ... ©Bhushan Rao...✍️ #self_respect #nojoto_हिंदी Sudha Tripathi Amita Tiwari mansi sahu satya rahil deepti vks siyag priya gour