इतने मासूम चेहरे दिखाने लगे अपने दिल में हमें वो बसाने लगे जिसको देखा था वो ही कहीं तो नहीं जिसके नज़दीक हम ख़ुद ही जाने लगे अपनी नज़रों से मुझको दिखा के नज़र मुझको अपना दिवाना बनाने लगे सामने देख के अपनी उसको कहीं अपनी नज़रें हम उनसे चुराने लगे उनकी नज़रों से नज़रें मिलाए नहीं ख़ुद ही नज़रें वो मुझसे मिलाने लगे अपनी बाँहों में ऐसे सुलाए हुए सारे नग़्मा मोहब्बत के गाने लगे अब जो महमूद ख़त लिख के छोड़े हो जो ख़ुद ही पढ़ के वो मुझको सुनाने लगे ©Shoqib Ansari #Thinking