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नारी नहीं है निराधार इसका भी है एक आधार खुद पे

नारी नहीं है  निराधार 
इसका भी है एक आधार

खुद पे आ जाऐं तो 
कर देती है बेड़ा पार

पर रहती है लताओं सी 
यही मिला है इसे संस्कार

दिल से मानों तो बहुत है इसमें प्यार
वरना काटें इसमें भी है सरकार

इतना भी ना कमजोर समझना
शीतल हूँ कुछ और ना समझना

जब तक मर्यादा में है गंगा कहलाती
तोड़ दू मर्यादा सैलाब ले आती
ना जाने कितनों की जिन्दगी तबाह कर जाती।।
     👉👇👇👇👇
नारी नहीं है नहीं निराधार 
इसका भी है एक आधार

खुद पे आ जाऐं तो 
कर देती है बेड़ा पार

पर रहती है लताओं सी
नारी नहीं है  निराधार 
इसका भी है एक आधार

खुद पे आ जाऐं तो 
कर देती है बेड़ा पार

पर रहती है लताओं सी 
यही मिला है इसे संस्कार

दिल से मानों तो बहुत है इसमें प्यार
वरना काटें इसमें भी है सरकार

इतना भी ना कमजोर समझना
शीतल हूँ कुछ और ना समझना

जब तक मर्यादा में है गंगा कहलाती
तोड़ दू मर्यादा सैलाब ले आती
ना जाने कितनों की जिन्दगी तबाह कर जाती।।
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नारी नहीं है नहीं निराधार 
इसका भी है एक आधार

खुद पे आ जाऐं तो 
कर देती है बेड़ा पार

पर रहती है लताओं सी
swetakumari9595

Sweta

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