हम समझते थे कि अभी भी हम हैं बैठे वहाँ जहाँ कल तक थे पर अब शायद हम उस काबिल नहीं कि बैठ सकें वहाँ और पा सकें उसके सान्निध्य को बस एक हवा ने खुशी गम में बदल दीं देखते देखते क्या से क्या हो गया