दिल की धड़कन, दिल के जज्बात, काबू में होते नहीं। उसकी याद में इतना तड़पे, कि चाह के भी रोते नहीं। मुस्कान ने उसकी दिल लूटा, हम भी खुद बहक गए। खो के उसके ख़्यालों में, काश वो सपने संजोते नहीं। हुआ कुछ ऐसा, दिल ने कहा, क्यूँ रात भर जागते हो। दिल की कसक और टीस में, हम रात भर सोते नहीं। होता न ऐसा, कुछ भी कभी, गर वो हमें समझ पाते। दिल भी बेचारा अकेला न होता और वो हमें खोते नहीं। जाने क्यूँ उसने दिल से खेला और दर्द हमें ये दे गया। काश उसकी याद में हम, आँसुओं की माला पिरोते नहीं। ♥️ Challenge-537 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।