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शाखों पे सब्ज पत्ते ना रहे बागवा बहारों की उम्मीद

शाखों पे सब्ज पत्ते ना रहे बागवा बहारों की उम्मीद भला कैसे करें
 मौसम ए खिजा अपने उरूज पे है हम बहारों की दीद भला कैसे करें
 कश्ती मेरी भंवर में है और पतवार है दस्त ए मुखालिफ में
 हम किनारो की उम्मीद भला कैसे करें

©Aurangzeb Khan
  #berukhi-#apno-#ki

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