पंक्षी हैं बस हो रहे हैं रवाना। कहाँ है मंजिल कहाँ है जाना। कहाँ अपनी मंजिल कहाँ है ठिकाना। दूर से आए हैं सूदूर जाना है दूर देश है जाना। शामयः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी दूर देश है जाना।