#गाँव_में_रहने_वाली_माँ
आठ बजते ही नहाती है।
कपड़े धोती है।
भगवान भी तो उसी के हिस्से में आते हैं सारे।
उनकी पूरी सेवा करते करते ग्यारह बज ही जाते हैं।
तब तक कोई न कोई चिल्लाता है चूहे दौड़ रहे हैं पेट में!और ये सुनते ही अन्नपूर्णा बन एक बजे तक सबको खाना खिला कर मुस्कुराती है।
खुद को खाने का वक़्त तीन बजे मिलता है।
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