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सुबह तीन बजे से उठकर लग जाती है, घर को स्वर्ग बनान

सुबह तीन बजे से उठकर लग जाती है,
घर को स्वर्ग बनाने की मशक्कत में मेरी माँ।
मवेशियों के लिए चारा सानी पानी,
झाड़ू सफ़ाई करते करते पाँच बज जाते हैं,
तब जाकर बनाती है चाय सबके लिए।
चार चुस्कियों के साथ
रसोई और कमरों को धो पोंछ कर,
पवित्र कर देती है।

कैप्शन
पढ़ ही डालिए! #गाँव_में_रहने_वाली_माँ 
आठ बजते ही नहाती है।
कपड़े धोती है।
भगवान भी तो उसी के हिस्से में आते हैं सारे।
उनकी पूरी सेवा करते करते ग्यारह बज ही जाते हैं।
तब तक कोई न कोई चिल्लाता है चूहे दौड़ रहे हैं पेट में!और ये सुनते ही अन्नपूर्णा बन एक बजे तक सबको खाना खिला कर मुस्कुराती है।
खुद को खाने का वक़्त तीन बजे मिलता है।
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सुबह तीन बजे से उठकर लग जाती है,
घर को स्वर्ग बनाने की मशक्कत में मेरी माँ।
मवेशियों के लिए चारा सानी पानी,
झाड़ू सफ़ाई करते करते पाँच बज जाते हैं,
तब जाकर बनाती है चाय सबके लिए।
चार चुस्कियों के साथ
रसोई और कमरों को धो पोंछ कर,
पवित्र कर देती है।

कैप्शन
पढ़ ही डालिए! #गाँव_में_रहने_वाली_माँ 
आठ बजते ही नहाती है।
कपड़े धोती है।
भगवान भी तो उसी के हिस्से में आते हैं सारे।
उनकी पूरी सेवा करते करते ग्यारह बज ही जाते हैं।
तब तक कोई न कोई चिल्लाता है चूहे दौड़ रहे हैं पेट में!और ये सुनते ही अन्नपूर्णा बन एक बजे तक सबको खाना खिला कर मुस्कुराती है।
खुद को खाने का वक़्त तीन बजे मिलता है।
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#गाँव_में_रहने_वाली_माँ आठ बजते ही नहाती है। कपड़े धोती है। भगवान भी तो उसी के हिस्से में आते हैं सारे। उनकी पूरी सेवा करते करते ग्यारह बज ही जाते हैं। तब तक कोई न कोई चिल्लाता है चूहे दौड़ रहे हैं पेट में!और ये सुनते ही अन्नपूर्णा बन एक बजे तक सबको खाना खिला कर मुस्कुराती है। खुद को खाने का वक़्त तीन बजे मिलता है। : #yqbaba #yqdidi #yqquotes #पाठकपुराण #इक्कीसवींसदीकेयेबीसबरस