जब सुबह सुबह माँ का फ़ोन आया उसने झुंझलाते हुए कहा, हाँ माँ अब क्या हुआ ? हिदायतों की एक लंबी सूची पहले ही थमा दी गई थी उसको। माँ बोलीं, अर्रे एक बात औऱ भूल ही गई,तुम्हारे उस सलवार कुर्ते के साथ माथे पर लाल बिंदी ख़ूब फबेगी, लगा लेना । "माँ अब ये क्या नया शुरू हो गई तुम , आफिस में कभी लगाई नहीं सब हसेंगे मुझपर"। माँ ने फिर ज़ोर दिया, तुम आजकल के बच्चे कुछ समझते नहीं, शालीनता झलकती है बिंदी से । माँ, देरी हो रही है यह कह उसने फोन रख दिया । माँ भी जानती हैं बेटी के कोमल हृदय को, कितना भी झुँझला ले लेकिन कहना न टालेगी। छोटी सी लाल बिंदी माथे पर सजी, कॉटन के हरे कुर्ते पर सच मे ख़ूब फब रही थी। अपने ही आफिस के किसी अन्य विभाग में वह लड़का कार्यरत है, जिससे आज मिलना तय हुआ है , परिवारों ने कुंडलियाँ तो पहले ही मिलवा ली हैं। जैसे ही अपनी सीट पर पहुँची, उसके एक बेहद ही खुशमिज़ाज़ सहकर्मी ने कहा, ये भारतीय नारी कैसे बन गईं आज। आज तो किसी त्यौहार या उत्सव का दिन भी नहीं! फिर एक पल रुक कर कहा, आज किसी लड़के से मिलने जा रही हो ,जो ये खोखले आदर्शों की चादर ओढ़ रखी है!! अब माथे पर लगी बिंदी बोझ सी लगने लगी थी। लगा जैसे खुद को ही छल रही थी अर्थहीन शालीनता से। #बिंदी #yqdidichallenge #yqdidi #arrangedmarriage #hinditales